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Showing posts from April, 2020

भुजंगासन (Bhujangasan)

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                  https://healthasan.blogspot.com                             भुजंगासन          भुजंग का अर्थ होता है साँप इस आसन को करते समय शरीर का आकर या स्थिति साँप के जैसी होती है | इसलिए इस आसन को सर्पासन या भुजंगासन कहते है | भुजंगासन करते समय शरीर के सभी अंगोपर प्रभाव पडता है | इस कारण से भुजंगासन से सम्पूर्ण शरीर को लाभ मिलता है |  भुजंगासन कैसे करे ? भुजंगासन की विधी  :- सर्वप्रथम पेट के बल लेट जाये अब पैर के पंजोको जोड़े और दोनो हाँथ कंधोके निचे रखे |  अब श्वास भरते हुए  छाती और गर्दन को धीरे धीरे उप्पर उठाए और आकाश की और देखे | ध्यान रहे की नाभिवाला हिस्सा धरती से लगाहो अब श्वास छोड़ते हुए धीरे धीरे छाती और गर्दन निचे करले | इस प्रकार भुजंगासन की 2 या 3 बार पुनरावृत्ति करे |  भुजंगासन के लाभ :- 1 ) कब्ज को दूरकरके पाचनतंत्र को ठीक करता है | 2 )यह आसन नियमितरूप से करने से पेट की अनावश्यक चर्बी कम हो जाती है |  3) भुजंगासन फेफडोंको शक्ति प्रदान करता है और फेफडोंकी कार्यक्षमता बढ़ाता  है |  4) कमरदर्द में लाभदायक है | कंधोंकी जखडन को दूर कर कंधोंकी मास

वृक्षासन ( Vrikshasan)

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                                            वृक्षासन    वृक्षआसन में शरीर का आकर वृक्ष जैसा बनता है| इसलिए इस आसन को वृक्षआसन  कहते है |  वृक्षासन कैसे  करे ? वृक्षासन की विधि :-  सर्वप्रथम ताड़ासन में खड़े होजाये और दाहिना (right  Leg ) पैर घुटने में से मोड़कर ऊपर उठाये और बाए  (Left Leg )  पैर के जांघ पर दबाकर रखें  एड़ी उप्पर मलद्वार के पास लगाए और बाए पैर पर संतुलन बनाए  इस स्थिमें श्वास भरकर दोनों हात ऊपर की करे और हथेली जोडले 8 से 10 सेकंड रुके और श्वास छोड़ते हुए हातोंको निचे करले और पैर धरती पर रखें |  अब ठीक इसी प्रकार बाए पैर (Left Leg ) को  घुटने में से मोड़कर ऊपर उठाये और दाए  पैर (Right  Leg ) के जांघ पर दबाकर रखें  एड़ी उप्पर मलद्वार के पास लगाए और दाहिने पैर पर संतुलन बनाए और  इस स्थिमें श्वास भरकर दोनों हात ऊपर लेजाये और हथेली जोडले 8 से 10 सेकंड रुके और श्वास छोड़ते हुए हातोंको निचे करले और पैर धरती पर रखें | वृक्षासन करते समय आगे की और देखे |  वृक्षासन के लाभ/ फायदे  :- वृक्षासन एकाग्रता को बढ़ता है और मन के विचारोपर नियन्रण करने में लाभदायक | टखनों का और घू

अनुलोम विलोम प्राणायाम (Anulom - Vilom pranayam)

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                              अनुलोम विलोम प्राणायाम  अनुलोम विलोम प्राणायाम का अर्थ है सीधा और उल्टा  एक नाशिका छिद्र से श्वास भरना और दूसरे नाशिका छिद्र से छोड़ना होता है इसलिए  इस इस आसन को अनुलोम विलोम कहते है |  अनुलोम विलोम प्राणायाम कैसे करे  :- अनुलोम विलोम प्राणायाम  की विधि :-  सर्वप्रथम  खुली हवा में  सुखासन या पद्यमासन में बैठ जाये और आप का मेरुदंड ( रीढ़की हड्डी  सीधी हो अब प्राणायाम कैसे करना है  आपको  1 -2 -1  -1   सूत्र का पता होना जरुरी है  जैसे  आप को श्वास   भितर भरते समय  4  सेकेंड लगते है तो आपको २ गुना श्वास को रोकना है 8 सेंकंड और जब श्वास बाहर छोड़ते है तो 4 सेकेंड मैं छोड़ना है  4 सेकेंड रोकना है  ध्यान रहे की  केवल आप को श्वास २ गुना रोकना है | अब जो  स्वर खुला हो या जिस  स्वर से श्वास चलरहा हो उस स्वर से श्वास को 4 गिनने तक धीरे धीरे भीतर भरे और दूसरा स्वर अगुठे से बंद करले  8 काउंट करने तक  श्वास  भितर भर के रोके और दूसरे स्वर से या नाशिका छिद्र से  श्वास 4 गिनने तक छोड़े और 4 (काउंट) या गिनने  तक श्वास को  रोके इस क्रिया को 1 -2 -1-1 का सूत्

वीरभद्रासन (Virbhadrasan)

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                                                              वीरभद्रासन                             वीरभद्र एक वीर योद्धा भगवान शिव के गण थे। ऊनके नाम से ही इस आसन का नाम रखा है। वीरभद्रासन। इस आसन को करने से शरीर के सभी भागोंमें  में खिचाव होने से शरीर के सभी जोड़ो और मास पेशी को मजबूत बनाता है। वीरभद्रासन कैसे करे ? वीरभद्रासन  वीरभद्रासन करने की विधि  :- सर्वप्रथम ताड़ासन की अवस्थामे खड़े होजाए और दाहिना पैर में  3.5 या 4 फीट का फासला ले और पैर घुटनेमें से मोड कर 90 अंश का कोण बनाए ले और बाया पैर सीधा रखे और दोने हाथोंको श्वास भरते हुए उप्पर की ओर ऊठाकर दोनो हथेली जोड़ले 8 से 10  गिनने तक रुके और श्वास छोड़ते हुए हाथ निचे करले और पैर भी सीधा करले। अब ठीक इसी प्रकार दूसरा पैर बाया पैर में  3.5 या 4 फीट का फासला ले  और पैर घुटनेमें से मोड कर  90 अंश का कोन बनाए  और दाया ( Right leg   ) पैर का घुटना सीधा रखें और श्वास भरते हुए दोनों हथेली उप्पर जोड़ले 8  से 10 गिनने तक रुके और श्वास छोड़ते हुए हाथ निचे करले और पैर भी सीधा करले। वीरभद्रासन के लाभ :- 

कपालभाती एक योगिक क्रिया (Kapalbhati ek yogik Kriya)

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                      कपालभाती  एक योगिक क्रिया  कपाल का  अर्थ  है'खोपड़ी,अथवा माथा  और भाती अर्थ है प्रकाश या तेज़   इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से मुख पर आंतरिक प्रभा(चमक) आ जाती है ।  कपालभाती   योगिक क्रिया  कपालभाति प्राणायाम एक योगीक क्रिया है यह क्रिया इस धरापर एक अमोघ औषधी है। सब रोगोका नाश करने के लिए। कपालभाति प्राणायाम से असाध्य रोग ठीक हो जाते है।कपालभाति एक रेचक करने की यौगिक क्रिया है|रेचक यानि श्वास को बाहर छोड़ना और पूरक यानि  श्वास को भीतर भरना और कुंभक यानि श्वास को रोकना| इस प्राणायाम को को केवल श्वास को झटकेसे बाहर फेकना होता है|  कपालभाती कैसे करे? कपालभाती की विधि  :- सर्वप्रथम कम्बल या दरी बिछाकर पद्मासन या स्वस्तिकासन,सुखासन मैं बैठे|  रीढ़ की हड्डी सीधी करके बैठे| अब श्वास १ सेकंड में एक बार झटकेसे बाहर फेंके|  श्वास लेने की जरुरत नहीं है| केवल आपको श्वास को बाहर फेंकना है| श्वास अपने आप भीतर आता है|इस क्रियाको करते रहे श्वास को झटके से बाहर छोडे|कपालभाती के बीचमें और अंत मैं त्रिबंध लगाए| मानलो आपको कपालभाती ४ मिनट करनी है

नाडीशोधन प्राणायाम (Nadishodhan Pranayam)

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                                                                          नाड़ीशोधन प्राणायाम   मानव शरीरमे नाड़ी  की संख्या   हठयोग प्रदीपिका नाड़ियों का  संख्या   ७२000  है। इन में से ३ नाडिया  मुख्य है  इड़ा , पिगला , और सुषुम्ना ये मुख्य नाड़ियों द्वारा संपूर्ण शरीर में  प्राण का संचार होता है। हमारे ऋषि कहते है और इतनी सारी नाड़िओ  शोधन  केवल नाड़ीशोधन प्राणायाम से ही संभव है इसलिए ऋषियोने हमें नाड़ी शोधनरूपी प्राणायाम की  साह्यता से शरीर की सम्पूर्ण नाडियोका शोधन यानि शुद्ध हो जाती है ।रक्तमे  ऑक्सिजन  की मात्रा को बढ़ाता है। नाड़ीशोधन प्राणायाम कैसे करे नाड़ीशोधन प्राणायाम की विधि : ↓ 1 ) सर्वप्रथम खुली हवामे आसन  बिछाकर पदमासन या जैसे आप सीधे ज्यादा समय तक बैठ पाए ऐसे आसन मैं बैठे अब नाशिका छिद्र को चेक करे कोनसे नाशिका छिद्र से श्वास चलरहा है दाए या बाए जिस नाशिका छिद्र से  श्वास चलरहा है उससे 4 गिनने तक  धीरे धीरे श्वास भीतर भरे और जो नाशिका बंद है। उसे अगुठे से बंद करले और 8 गिनने तक  रोके और उसी  नाशिका  छिद्र से  4 गिनने तक श्वास  धीरे धीरे बाहर छोड़कर भी 4 गिनने

त्रियक ताड़ासन (triyak Tadasan)

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https://healthasan.blogspot.com                                                                                      तिर्यक ताड़ासन (Tiryaka Tadasana) कब्ज या कमर के पास जमी चर्बी से हैं परेशान? योग में तिर्यक ताड़ासन (tiryaka tadasana) अधिकतर लोग मोटापा, कब्ज, कमर व पेट के आसपास चर्बी जमा होने, कंधों में दर्द, मेरुदंड आदि से संबंधित समस्याओं का सामना करते हैं। इन सभी समस्याओं से बचने का बेहतर उपाय है I बेहतर खानपान, व्यायाम और योग का अभ्यास। कब्ज, कमर के पास की जमी चर्बी को कम करने के लिए  और शरीर को लचीला बनाने के लिए आप तिर्यक ताड़ासन (Triyaka Tadasana) का अभ्यास कर सकते हैं। कब्ज से अधिकतर लोग परेशान रहते हैं।  योग में तिर्यक ताड़ासन (tiryaka tadasana) करके आप इन सभी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं। त्रियक ताड़ासन कैसे करे ? आसन की विधि :   खुली और हवादार जगह पर  दरी या आसन बिछाकर  ताड़ासन की अवस्था में खड़े हो जाएं।  दोनों पैरों के बीच एक या डेढ़ फिट की दुरी हो  और पैर बिल्कुल सीधे हों।  दोनों हाथों की उंगुलियों को आपस में लॉक करले। इन्हें सिर के ऊपर  रखे श

ताड़ासन (Tadasan)

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                                                                      ताड़ासन (Tadasana)  आरोग्य प्राप्ति एवं स्वास्थ्य रक्षामें योगासनोका अभ्यास एक महत्वपूर्ण घटक है। यूं तो योगका संबंध मनके स्थिरता से है। चितव्रतीयोका का निरोध करना है। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का निवास होता है। इसलिए शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग एवं प्राणायाम का अभ्यास करना महत्त्व पूर्ण है। सम्पूर्ण शरीर के अंगोको व्यायाम होता है। ताड़ासन करने से  ताड़ासन कैसे करे आसन की विधि इसके लिए सबसे पहले आप खड़े हो जाए और अपने कमर एवं गर्दन को सीधा रखें। अब आप अपने हाथ को लॉक करके सिर के ऊपर करें  और सांस लेते हुए धीरे धीरे पुरे शरीर को खींचें। खिंचाव को पैर की अंगुली से लेकर हाथ की अंगुलियों तक महसूस करें। और पेट को अंदर खींचे इस अवस्था को कुछ समय के लिए बनाये रखें फिर सांस छोड़ते हुए धीरे धीरे अपने हाथ एवं शरीर को पहली अवस्था में लेकर आयें। इस तरह से एक चक्र पूरा हुआ। कम से कम इसे दो से तीन बार इस आसन का अभ्यास करें ताड़ासन हाइट बढ़ाने के लिए : यह आसन बच्चों की हाइट बढ़ाने के लिए अतिउत्तम य