भुजंगासन (Bhujangasan)

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 भुजंग का अर्थ होता है साँप इस आसन को करते समय शरीर का आकर या स्थिति साँप के जैसी होती है | इसलिए इस आसन को सर्पासन या भुजंगासन कहते है | भुजंगासन करते समय शरीर के सभी अंगोपर प्रभाव पडता है | इस कारण से भुजंगासन से सम्पूर्ण शरीर को लाभ मिलता है | 



भुजंगासन कैसे करे ?
भुजंगासन की विधी  :-

सर्वप्रथम पेट के बल लेट जाये अब पैर के पंजोको जोड़े और दोनो हाँथ कंधोके निचे रखे |  अब श्वास भरते हुए  छाती और गर्दन को धीरे धीरे उप्पर उठाए और आकाश की और देखे | ध्यान रहे की नाभिवाला हिस्सा धरती से लगाहो अब श्वास छोड़ते हुए धीरे धीरे छाती और गर्दन निचे करले | इस प्रकार भुजंगासन की 2 या 3 बार पुनरावृत्ति करे | 


भुजंगासन के लाभ :-

1 ) कब्ज को दूरकरके पाचनतंत्र को ठीक करता है |

2 )यह आसन नियमितरूप से करने से पेट की अनावश्यक चर्बी कम हो जाती है | 

3) भुजंगासन फेफडोंको शक्ति प्रदान करता है और फेफडोंकी कार्यक्षमता बढ़ाता  है | 

4) कमरदर्द में लाभदायक है | कंधोंकी जखडन को दूर कर कंधोंकी मासपेशिको बल देता है | 


भुजंगासन की सावधानियाँ  :-

हर्निया , अल्सर के रोगी को ये आसन नहीं करना चाहिए |
पेट का ऑपरेट हुवा हो तो भुजंगासन आसन नहीं करना चाहिए |

 



 

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