वीरभद्रासन (Virbhadrasan)
वीरभद्रासन

वीरभद्रासन कैसे करे ?
वीरभद्रासन |
सर्वप्रथम ताड़ासन की अवस्थामे खड़े होजाए और दाहिना पैर में

अब ठीक इसी प्रकार दूसरा पैर बाया पैर में 3.5 या 4 फीट का फासला ले और पैर घुटनेमें से मोड कर 90 अंश का कोन बनाए और दाया (Right leg ) पैर का घुटना सीधा रखें और श्वास भरते हुए दोनों हथेली उप्पर जोड़ले 8 से 10 गिनने तक रुके और श्वास छोड़ते हुए हाथ निचे करले और पैर भी सीधा करले।
वीरभद्रासन के लाभ :-
वीरभद्रासन की सावधानियाँ :-
उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तिको यह आसन नहीं करना चाहिए।
ह्रदय रोगी को ये आसन नहीं करना चाहिए।
घुटनो में दर्द हो तो ये आसन किसी योग शिक्षक के परामर्श से करे।
- घुटनोंका दर्द, कमरदर्द , कंधोंके दर्द में बहोत लाभदायक है।
- मेरुदंड पे दबाव पडने से शरीर में रक्त प्रवाह तेजी से होता है।
- पैर की मांसपेशिया मजबूत बनती है।
- वीरभद्रासन साईटिका में भी आरामदायक है।
- वजन कम करने में सहायक है।
- सहनशक्ति को बढ़ता है।
- फेफडोंको मजबुत बनता है।
वीरभद्रासन की सावधानियाँ :-
उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तिको यह आसन नहीं करना चाहिए।
ह्रदय रोगी को ये आसन नहीं करना चाहिए।
घुटनो में दर्द हो तो ये आसन किसी योग शिक्षक के परामर्श से करे।
Comments
Post a Comment
20