भ्रामरी प्राणायाम (Bramari pranayam)

  भ्रामरी प्राणायाम

भ्रामरी प्राणायाम एक रहस्यम्य और अद्भुत प्राणायाम है। भ्रामरी की उत्पति भ्रमर से हुई है।
भ्रमर यानी भौरा इस प्राणायाम में भौरे की तरह गुंजन के समान ध्वनि उत्पन्न की जाती है। इस प्राणायाम से ध्वनि के स्पंदन से मन और मस्तिष्क में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ओर इस ध्वनि का प्रभाव पिनियल ग्रंथि पर पडता है। ॐ के गुंजन से जो लाभ प्राप्त होते है वह भ्रामरी प्राणायाम से होते है। इसलिए इस प्राणायाम को महत्व पूर्ण प्राणायाम में शामिल किया गया है।
भ्रामरी प्राणायाम कैसे करे ?

भ्रामरी प्राणायाम की विधि :-


पद्मासन में या सुखासन में बैठ जाए मेरुदंड सीधा और सिर सीधा रखें 
आंखे बंद करे लंबा और गहरा श्वास ले 
अपनी दोनों हाथ की तर्जनी ऊंगली से दोनों कान के छिद्र इस प्रकार बंद करे की बाहर की कोई आवाज सुनाई न दे ओर मुख़ बंद करके भौरे की तरह गुंजन करते हुए नाक से श्वास को धीरे धीरे बाहर छोड़े इस प्रकार भ्रामरी प्राणायाम 7 या 8 बारे दोहराए।

भ्रामरी प्राणायाम के फायदे :-
  1) स्मरण शक्ति को बढ़ाता है।
  2) मानसिक तनाव को दूर करके मन को शांति देता है। 
3) सिरदर्द को ठीक करता है।
4) अनिंद्रा और चिंता से मिलती है। 
5) मन की एकाग्रता को बढ़ाता है।
6) क्रोध को शांत करने में लाभदायक









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