Sunday, June 14, 2020

मयूरासन(Mayurasan ) peacock pose

                                     मयूरासन(Mayurasan ) peacock pose 


मयूरासन ये संस्कृत का शब्द है । हिंदी में मोर कहते है । मयूरासन एक कठिन आसन  है । लेकीन कुछ समय अभ्यास के बाद सुलभ हो जाता है। हमारे योग ऋषियोंने विविध प्रकार के पशु -पक्षीयो के नाम पर आसनो के नाम दिए है। वे सब आसन के नाम संस्कृत भाषा के है । उसमे से एक है मयूर यानि मोर पक्षी जैसा शरीर का आकार बनाना होता है । मोर छोटे कीटक और साप को भी खाकर हजम करलेता है। मयूरासन विषैले तत्व को शरीर से बाहर निकालने में मदत करता है । मयूरासन करने से पाचन तंत्र मजबूत बनता है । और पेट के सबंधित सारे विकार ठीक हो जाते है । मयूरासन मधुमेह के रोगी के लिए भी लाभदायक है ।



मयूरासन कैसे करे ?

मयूरासन करनेकी विधि  :

1 ) सर्वप्रथम चटाई या yoga mat बिछाकर घुटनों के बल बैठ जाये ।और घुटनोंके के बल बैठ जाये उसे वज्रासन कहते है ।

2 ) अपने हाथोंको को धरती पर रखे हाथ की उँगली की दिशा पैर की तरफ रखना है ।

3 ) अब श्वास भरते हुए दोनों पैर पीछे की और लेजाए दोनों हाथ की कोनी नाभिके दोनों बाजु में लगाये ।

4 ) सर को धरती पर लगाए और दोनों पैर धरती से ऊपर उठाये जब तक शरीर का संतुलन दोनों हाथों पर न बने तबतक सर को धरती पर लगाए और जब हाथोंपर शरीर का संतुलन आजाये तब सर को ऊपर उठाकर आगे देखे  इस मुद्रा में यथा शक्ति जितना समय रह सकते है रहे ।

5)  अब धीरे धीरे पैर धरती पर रखे  और पूर्व स्तिथि वज्रासन में आये और आगे झुके और शशांक आसन करे ।

मयूरासन का अभ्यास 2 या 3 बार दोहराये और शुरू में ये आसन 3  से 5  सेकंड करे 


 मयूरासन के फायदे 
1 ) पाचनतंत्र को क्रियाशील एवं मजबूत बनता है ।
2 ) जठर अग्नि को प्रदिप्त बनाकर भूख में वृद्धि होती है ।
3 ) चेहरे पर तेज और ओज की प्राप्ति होती है ।
4 ) पेट की मांस पेशी को मजबूत बनाता है । 
5 ) नियमित मयूरासन करने से हाथ की कलाई और भुजाओ को मजबूती प्रदान करता है ।
 6 ) इस आसन को करते समय शरीर अतिरिक्त ऊर्जा खर्च होती है । इसलिए शरीर अतिरिक्त ऊर्जा के लिए वसा और रक्त ग्लूकोज का इस्तेमाल करता है । इस कारन से शरीर में मधुमेह को नियंत्रण करने में लाभदायक है ।
7 ) इस आसन को करते समय शरीर में रक्त का प्रवाह सिर की और आने से आँखो की रोशनी बढ़ती है ।




मयूरासन करते समय कोनसी सावधानी बरतनी चाहिए 

(Precautions for Mayurasana or Peacock Yoga Pose)


हाई ब्लड प्रेशर, ह्रदय रोग, हर्निया, पेप्टिक अल्सर , पेट का ऑपरेट आदि की समस्या हैं तो आप इस आसन को ना करें।






Saturday, May 16, 2020

मंडूकासन (Mandukasan)

                            मंडूकासन 

मंडूकासन में शरीर कर आकर मेंढक जैसा होता है इसलिए इस आसन को मंडूकासन कहते है | हिंदीमें मंडूक को मेंढक कहते है | 
मंडूकासन मधुमेह को  नियंत्रित करनेमें बहुत ही महत्व पूर्ण भूमिका निभाता है | मंडूकासन पाचनतंत्र को मजबूत बनाता है | 

  मंडूकासन कैसे करे ?
मंडूकासन की विधि   :-

Yoga mat या दरी बिछाकर वज्रासन में बैठ जाये | 
वज्रासन में बैठ जाएं फिर दोनों हाथों की मुठ्ठी बंद कर लें। मुठ्ठी बंद करते समय अंगूठे को अंगुलियों से अंदर दबाइए। फिर दोनों मुठ्ठियों को नाभि के दोनों ओर लगाकर श्वास बाहर निकालते हुए  आगे झुके  छाती  घुटनो के साथ लगाये सामने देखे और श्वास को यथा शक्ति रोके अब धीरे धीरे श्वास  भरते हुए गर्दन को उप्पर उठाये इस प्रकार इस आसन को 2 से 3 बार दोहराये 


मंडूकासन के लाभ :-

1) मधुमेह को नियंत्रित करता है | 
2)  कब्ज को ठीक करता है | 
3) जठर अग्नि को प्रदिप्त करता है | 
4) अपचन को ठीक करता है,और भूख  बढ़ाता है | 


मंडूकासन की सावधानी :-
कमरदर्द , घुटनों का दर्द होने पर मंडूकासन किसी योग चिकित्सक के देख- रेख में करे | 
पेट का ऑपरेट होने पर यह आसन नहीं करना चाहिए | 








Wednesday, May 13, 2020

भ्रामरी प्राणायाम (Bramari pranayam)

  भ्रामरी प्राणायाम

भ्रामरी प्राणायाम एक रहस्यम्य और अद्भुत प्राणायाम है। भ्रामरी की उत्पति भ्रमर से हुई है।
भ्रमर यानी भौरा इस प्राणायाम में भौरे की तरह गुंजन के समान ध्वनि उत्पन्न की जाती है। इस प्राणायाम से ध्वनि के स्पंदन से मन और मस्तिष्क में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ओर इस ध्वनि का प्रभाव पिनियल ग्रंथि पर पडता है। ॐ के गुंजन से जो लाभ प्राप्त होते है वह भ्रामरी प्राणायाम से होते है। इसलिए इस प्राणायाम को महत्व पूर्ण प्राणायाम में शामिल किया गया है।
भ्रामरी प्राणायाम कैसे करे ?

भ्रामरी प्राणायाम की विधि :-


पद्मासन में या सुखासन में बैठ जाए मेरुदंड सीधा और सिर सीधा रखें 
आंखे बंद करे लंबा और गहरा श्वास ले 
अपनी दोनों हाथ की तर्जनी ऊंगली से दोनों कान के छिद्र इस प्रकार बंद करे की बाहर की कोई आवाज सुनाई न दे ओर मुख़ बंद करके भौरे की तरह गुंजन करते हुए नाक से श्वास को धीरे धीरे बाहर छोड़े इस प्रकार भ्रामरी प्राणायाम 7 या 8 बारे दोहराए।

भ्रामरी प्राणायाम के फायदे :-
  1) स्मरण शक्ति को बढ़ाता है।
  2) मानसिक तनाव को दूर करके मन को शांति देता है। 
3) सिरदर्द को ठीक करता है।
4) अनिंद्रा और चिंता से मिलती है। 
5) मन की एकाग्रता को बढ़ाता है।
6) क्रोध को शांत करने में लाभदायक









Sunday, May 10, 2020

ऊष्ट्रासन ( Ushtrasan)

                                                  ऊष्ट्रासन 

ऊष्ट्रासन में शरीर का आकार ऊंट के जैसे होता है ।इसलिए इस आसन को ऊष्ट्रासन कहते है  ।ऊष्ट्रशब्द संस्कृत है और हिंदी में ऊंट कहते है।
इस आसन को करने से मेरुदंड को शक्ति मिलती है और मेरुदंड को लचीला बनाने में महत्व पूर्ण आसन है।पेट, कंधा , गर्दन, जंघा और घुटनोंमें दबाव पड़ता है । 

ऊष्ट्रासन कैसे करे ? <script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-5142264719200248"
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ऊष्ट्रासन की विधि :-

सर्वप्रथम Yoga Mat या दरी बिछाकर वज्रासन में बैठ जाये 
1 ) श्वास भरते हुये घुटनों के बल बैठे घुटनों के बिच में आधा फ़ीट का अंतर ले और दोनों हाथ कमर पर रखते हुये  
 पीछे झुके और गर्दन को भी पिछे झुकाये 

2) अब दोनों हाथ कमर से हटाकर कमरको झटका दिए बिना पैरों की एड़ी को पकड़ने की कोशिश करे ।
3) धीरे धीरे श्वास भीतर भरके यथाशक्ति  कुछ सेकेंड रोके और धीरे धीरे श्वास छोड़ते हुये दोनों हाथ कमर पे रखकर शरीर का संतुलन बनाते हुये वापीस वज्रासन में बैठ जाये इस प्रकार इस आसन का 2 या ३ बार अभ्यास करे ।


ऊष्ट्रासन के लाभ/ फायदे 

1)  मेरुदंड को लचिला बनाकर मजबूती प्रदान करता है ।
2)  फेफड़ो को मजबूत बनाकर फेफडोंकी कार्यक्षम को बढ़ाता है । 
3)  थाइरॉइड्स को ठीक करने में लाभदायक 
4)  किडनी, लिवर,छोटी आंत को कार्यशील बनता है ।
5) घुटने और जंघा की माँसपेशी को मजबूती प्रदान करता है। 
6) आंखोकी रोशनी को बढ़ाने में लाभदायक है ।

ऊष्ट्रासन की सावधानियाँ 
1) हर्निया, मेरुदंड में चोट लगी हो या दर्द होतो ये आसन नहीं करना चाहिए ।
2) उच्च रक्तचाप या हृदय रोग होने पर ये आसन नहीं करना है चाहिए ।





   


Friday, May 8, 2020

योगमुद्रासन

                                       योगमुद्रासन 

योगमुद्रासन योग को साधने के लिए एक प्रभावशाली आसन है | योग में योगमुद्रासन का महत्व पूर्ण आसनो में शामिल किया गया  है | योगमुद्रासन शारीरिक एवं मानसिक रोगोंमें विशेष लाभदायक है | योगमुद्रासन करने से अपचन, मंदाग्नि, कब्ज से मुक्ति मिलती है  छोटी आंत, बड़ी आंत पर दबाव पड़ता है |  किडनी, लीवर , एवं जठर अग्नि को प्रदीप्त करने में महत्त्व पूर्ण भुमका निभाता है | 



योगमुद्रासन कैसे करे ?


योगमुद्रासन की विधि :-


सर्वप्रथम आसन पे बैठ जाए पद्मासन लगाए और दोनों हाथ मेरुदंड के पास ले जाकर दोनों हाथ की  उँगलियाँ आपसमें  फसाकर lock करले और श्वास को भरते हुए धीरे धीरे हाथ ऊपर करले और श्वास छोड़ते हुए ठोड़ी या सर को धरती पे लगाए  10 से 12 सेकंड रोके ओर सर को ऊपर उठाते हुए  श्वास धीरे धीरे श्वास भरे इस प्रकार इस आसन को 2 या 3 बार दोहराये 


 योगमुद्रासन के फायदे / लाभ 


1) योगमुद्रासन से अपचन, मंदाग्नि , कब्ज़ , छोटी आंत और बड़ी आंत पे दबाव पड़ने से कब्ज की समस्या से छुटकारा मिलता है | 
2) किड़नी, लिवर , को कार्यशील बनता है | 
3 ) जठर अग्नि को प्रदीप्त करके भूक बढ़ाता है | 
4 ) मानसिक तनाव को दुरकरता  है और ध्यान में मनको एकाग्र करने में सहायता करता है | 
5) बवासीर को ठीक करने में योगमुद्रासन सहायक है| 
6) पुरे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है | 
7) फेफडोंको कार्यशील बनाकर मजबूती प्रदान करता है | 















Wednesday, May 6, 2020

जानुशिरासन (janushirasan)

                                           जानुशिरासन 

जानुशिरासन एक उत्कर्ष एवं सम्पूर्ण शरीर के अंगो को शक्ति का संचार करनेवाला है | जानुशिरासन मानसिक तनाव को दूर करनेमें सहायक है | 
जानू का अर्थ है घुटना और शिर यानि सर घुटने को शिर लगानेको जानुशिरासन कहते है | 


 जानुशिरासन कैसे करे ?


जानुशिरासन की विधि :-

सर्वप्रथम Yoga Mat या आसन को बिछाकर बैठ जाए |

1)अब दोनों पैरोको आगे की और सीधे करले बाया पैर घुटनेमें से मोडकर एड़ी मलद्वार के पास लगाए और पैर का पंजा दाहिने पैर के जंघा से सटाहुआ रखें | अब दोनों हाथोंको ऊपर उठाते हुए धीरे धीरे श्वास भरे और आगे झुकते हुए धीरे धीरे श्वांस को छोड़ते हुए पैर का पंजा पकडे और सर घुटने को लगाए | अब इस स्तिथि में श्वास को कुछ सेकंड रोके और धीरे धीरे श्वास भरते हुए दोनों हाथ उप्पर उठाकर निचे करते समय श्वास छोड़े   
इस प्रकार जानुशिरासन को
  2) अब इसी आसन को दूसरे पैर से दोहराए 
दाये पैर को घुटनेमें से मोडकर एड़ी मलद्वार को लगाय और पंजा बाये पैर के जंघा को सटाकर रखे | बाये पैर का घुटना सीधा रखें |अब दोनों हाथोंको ऊपर उठाते हुए धीरे धीरे श्वास भरे और आगे झुकते हुए धीरे धीरे श्वांस को छोड़ते हुए पैर का पंजा पकडे और सर घुटने को लगाए | अब इस स्तिथि में श्वास को कुछ सेकंड रोके और धीरे धीरे श्वास भरते हुए दोनों हाथ उप्पर उठाकर निचे करते समय श्वास छोड़े | 
जानुशिरासन को 2 से 3 बार दोहराये 
जो इस आसन को पहली बार करेंगे उनका सर घुटने को नहीं लगेगा और नाही पैर के पंजो को पकड़ पाएंगे उनको यह आसन कठिन लगेगा पर कुछ दिन के अभ्यास के बाद ठीक तरह कर सकते है |

जानुशिरासन के लाभ /फायदे 


1 )जानुशिरासन मानसिक तनाव को कम करता है | 
2) किडनी, लिवर ,को कार्यशील बनाता है और जठर  
अग्नि को तीव्र करता है | 
3) अजीर्णता और कब्ज को दूरकर है | 
4) फेफडोंको कार्यशील बनाकर पुरे शरीरमें ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है | 
5) मेरुदंड को लचिला बनाता है 
6) पैर, घुटने, जंघा की मासपेशिको मजबूत बनता है | 



जानुशिरासन की सावधानिया  :-


कमर दर्द  में यह आसन नहीं करना चाहिए | 







  





Tuesday, May 5, 2020

नौकासन ( Naukasan)

                                     

                          नौकासन 


नौकासन से पुरे शरीर का व्यायाम होता है |

पेटकी चर्बी कम करने और पाचनतंत्र को सुधारनेके लिए नौकासन बहोत प्रभावशाली योगासन है | 

  नौकासन कैसे करे ?


नौकासन  की विधि :-

सर्वप्रथम YOGA MAT या आसन पे पीठ के बल लेट जाये दोनों पाँव मिला ले और श्वास को भरते हुए ऊप्पर उठाये दोनों हाथ और गर्दन पैर की ओर सीधे एक दिशामें आगे की और उठाए अब शरीर का आकर नौका जैसा बन जायेगा इस स्थिति में श्वास को 10 या 15 सैकंड  रोके और श्वास को छोड़ते हुए पैर और हाथ को धरती पर लाए। इसप्रकार इस आसन को 2 से 3 बार दोहराएं । 

नौकासन के लाभ / फायदे 


1) पेट के चर्बी को कम करनेमें विशेष लाभदायक और पेट की मांसपेशी को मजबूत करता है ।

2) गैस, कब्ज , को ठीक करनेमें लाभदायक ।
3) मेरुदंड को लचीला बनाकर मेरुदंड को मजबूती देता है ।
3) पाचनतंत्र को बेहतर बनानेमें सहायक । 
4) कंधो और हाथों की मांसपेशी को शक्ति देता है ।
5) नाभि को संतुलित करने में लाभदायक है । 
6) फेफड़ो को कार्यशील बनाता है और पुरे शरीर में रक्त का संचार ठीक तरह से होता है ।

 नौकासन की सावधानीया :-


कमर में दर्द हो तो ये आसन नहीं करना चाहिए ।

हर्निया के रोगी को ये आसन नहीं करना चाहिए। 
रीढ़ के हड्डी में दर्द होता हो आसन नही करना चाहिए।











मयूरासन(Mayurasan ) peacock pose

                                      मयूरासन(Mayurasan ) peacock pose  मयूरासन ये संस्कृत का शब्द है । हिंदी में मोर कहते है । मयूरासन ...