कपालभाती एक योगिक क्रिया (Kapalbhati ek yogik Kriya)



                     कपालभाती  एक योगिक क्रिया 



कपाल का अर्थ है'खोपड़ी,अथवा माथा और भाती अर्थ है प्रकाश या तेज़ इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से मुख पर आंतरिक प्रभा(चमक) आ जाती है । 

कपालभाती  योगिक क्रिया 
कपालभाति प्राणायाम एक योगीक क्रिया है यह क्रिया इस धरापर एक अमोघ औषधी है। सब रोगोका नाश करने के लिए। कपालभाति प्राणायाम से असाध्य रोग ठीक हो जाते है।कपालभाति एक रेचक करने की यौगिक क्रिया है|रेचक यानि श्वास को बाहर छोड़ना और पूरक यानि  श्वास को भीतर भरना और कुंभक यानि श्वास को रोकना| इस प्राणायाम को को केवल श्वास को झटकेसे बाहर फेकना होता है| 


कपालभाती कैसे करे?
कपालभाती की विधि :-

सर्वप्रथम कम्बल या दरी बिछाकर पद्मासन या स्वस्तिकासन,सुखासन मैं बैठे| 
रीढ़ की हड्डी सीधी करके बैठे| अब श्वास १ सेकंड में एक बार झटकेसे बाहर फेंके| 
श्वास लेने की जरुरत नहीं है| केवल आपको श्वास को बाहर फेंकना है| श्वास अपने आप भीतर आता है|इस क्रियाको करते रहे श्वास को झटके से बाहर छोडे|कपालभाती के बीचमें और अंत मैं त्रिबंध लगाए| मानलो आपको कपालभाती ४ मिनट करनी है तो आप २ मिनट कपालभाती करके बाद त्रिबंध लगाए और ४ मिनट के बाद त्रिबंध लगाए|अब त्रिबंध कौन कौनसे है इस के बारेंमे जानलेते है| 

१)मूलबन्ध  :-     मलद्वार को उप्पर की और सिकुड़ कर खींचना इस क्रिया को मूलबन्ध कहते है | 
२)उड्डियांबंध   :-  श्वास को बाहर छोड़कर पेट को अंदर की और खींचना इस को उड्डीयांबंध कहते है |      



३)जालन्धरबंध :- ठोड़ी को कण्ठ मूलकेसाथलगाया जाता है | इस को जालन्धरबंध कहते है|  

कपालभाति करते समय ऐसी भावना करे की मेरे शरिर मैं से सभी विषैले पदार्थ एव मनके दुर्गुणभी हवाके साथ बाहर फेंके जारहे है|कपालभाति प्राणायाम इस प्रकार आप शुरू मैं १ या २ मिनट तक करे|कपालभाति का अभ्यास धीरे धीरे बढ़ा सकते है| २ मिनट से २५ मिनट या ३० मिन्ट अभ्यास बढ़ा सकते है| 

कपालभाती के लाभ :- 
चेहरे पर तेज और ओज की प्राप्ति होती है| 
पुरे शरीर का शोधन होजाता है| 
रक्तमें ऑक्सिजन की मात्रा बढ़ जाती है| 
दाँत मजबूत होजाती है| 
पुरानी कब्ज और सरदर्द,से छुटकारा मिलता है| 
पेट के सबन्धित सारे विकार दूर होजाते है| 
चमड़ी के रोग रक्त दूषित होने से होते है परंतु कपालभाती यौगिक क्रिया से रक्त शुद्ध होने से सभी प्रकार के चमड़ी के रोग और अलर्जी ठीक करने में सहायक है|   
त्रिदोष संतुलित होजाते है वात,पित्त,और कफ
सकारत्मक विचारो को बढ़ाता है।
आयुमें वृद्धि होती है| 
अनिंद्रा की समस्या में लाभदायक है | 
शुगर को कम करने में कपालभाती क्रिया बहुत प्रभावशाली है। 



कपालभाती  योगिक क्रिया की सावधानियाँ
जिनका High blood pressure होगा उनको कपालभाती करते समय २ या ३ सेकण्ड में एक बार ही झटके से श्वास छोड़े  सामान्य वयक्ति की तरह जल्दी जल्दी ना करे।
कमरदर्द  हो तो कपालभाती का अभ्यास ना करे।
पेट के ऑपरेट बाद कपालभाती ना करे।
   








  





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Mayurasana

नौकासन ( Naukasan)

जानुशिरासन (janushirasan)

वीरभद्रासन (Virbhadrasan)