yoga for health good for back pain and headache improve body Pranayama is control of breath and awakening of Prana(Vital energy)Prana represents the pranic energy responsible for l life force & 'ayama' means control. So Pranayama is 'Control of Breath' nadishodhan, kapalbhati,naukasan,dhanurasan,janushirasan,Anulom vilom pranayam,uthanpadasan,vrikshasan,bramari markatasan,virbhadrasan, ardhapawanmuktasan
अनुलोम विलोम प्राणायाम (Anulom - Vilom pranayam)
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By Ashok
Ashok
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अनुलोम विलोम प्राणायाम
अनुलोम विलोम प्राणायाम का अर्थ है सीधा और उल्टा
एक नाशिका छिद्र से श्वास भरना और दूसरे नाशिका छिद्र से छोड़ना होता है इसलिए इस इस आसन को अनुलोम विलोम कहते है |
अनुलोम विलोम प्राणायाम कैसे करे :-
अनुलोम विलोम प्राणायाम की विधि :-
सर्वप्रथम खुली हवा में सुखासन या पद्यमासन में बैठ जाये और आप का मेरुदंड ( रीढ़की हड्डी सीधी हो अब प्राणायाम कैसे करना है आपको 1 -2 -1 -1 सूत्र का पता होना जरुरी है जैसे आप को श्वास भितर भरते समय 4 सेकेंड लगते है तो आपको २ गुना श्वास को रोकना है 8 सेंकंड और जब श्वास बाहर छोड़ते है तो 4 सेकेंड मैं छोड़ना है 4 सेकेंड रोकना है ध्यान रहे की केवल आप को श्वास २ गुना रोकना है | अब जो स्वर खुला हो या जिस स्वर से श्वास चलरहा हो उस स्वर से श्वास को 4 गिनने तक धीरे धीरे भीतर भरे और दूसरा स्वर अगुठे से बंद करले 8 काउंट करने तक श्वास भितर भर के रोके और दूसरे स्वर से या नाशिका छिद्र से श्वास 4 गिनने तक छोड़े और 4 (काउंट) या गिनने तक श्वास को रोके इस क्रिया को 1 -2 -1-1 का सूत्र कहते है| इस प्रकार अनुलोम विलोम प्राणायाम के करे|
अनुलोम विलोम प्राणायाम के लाभ/फायदे :-
यह प्राणायाम सभी प्रकार के स्नायु दर्द को दूरकर्ता है (pain clear ) का काम करता है|
त्रिदोष को सम करता है ( वात , पित्त और कफ )
शरीर के तापमान को सम करने में लाभदायक
सभी प्रकार की अलर्जी को ठीक करता है
श्वास की क्रिया दीर्घ होने से आयु लम्बी होती है
मन के विचार कम होकर मन को शांति मिलती है
ध्यान के लिए सहायक है
फेफड़ो के छोटे छोटे छिद्र खुल जाते है और फेफडोंकी की कार्य क्षमता को बढ़ाता है |
रक्त म ै ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है
स्मरण शक्ति को बढ़ाता है
सिरदर्द , जुखाम ,और साइनस की समस्य को ठीक करता है
शरीर की अनावश्यक चर्बी को काम करता है|
पक्षाघात या लकवा (Paralysis) के रोगी के लिए अनुलोम विलोम प्राणयाम बहुत ही लाभदायक रहा है |
अनुलोम विलोम प्राणायाम की सावधानियाँ :-
अनुलोम विलोम प्राणायाम खाना खाने के ३ घंटे बाद ही करे
ऊष्ट्रासन ऊष्ट्रासन में शरीर का आकार ऊंट के जैसे होता है ।इसलिए इस आसन को ऊष्ट्रासन कहते है ।ऊष्ट्रशब्द संस्कृत है और हिंदी में ऊंट कहते है। इस आसन को करने से मेरुदंड को शक्ति मिलती है और मेरुदंड को लचीला बनाने में महत्व पूर्ण आसन है।पेट, कंधा , गर्दन, जंघा और घुटनोंमें दबाव पड़ता है । ऊष्ट्रासन कैसे करे ? <script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-5142264719200248" crossorigin="anonymous"></script> ऊष्ट्रासन की विधि :- सर्वप्रथम Yoga Mat या दरी बिछाकर वज्रासन में बैठ जाये 1 ) श्वास भरते हुये घुटनों के बल बैठे घुटनों के बिच में आधा फ़ीट का अंतर ले और दोनों हाथ कमर पर रखते हुये पीछे झुके और गर्दन को भी पिछे झुकाये 2) अब दोनों हाथ कमर से हटाकर कमरको झटका दिए बिना पैरों की एड़ी को पकड़ने की कोशिश करे । 3) धीरे धीरे श्वास भीतर भरके यथाशक्ति कुछ सेकेंड रोके और धीरे धीरे श्वास छोड़ते हुये दोनों हाथ कमर पे रखकर शरीर का संतुलन बनाते ह
जानुशिरासन जानुशिरासन एक उत्कर्ष एवं सम्पूर्ण शरीर के अंगो को शक्ति का संचार करनेवाला है | जानुशिरासन मानसिक तनाव को दूर करनेमें सहायक है | जानू का अर्थ है घुटना और शिर यानि सर घुटने को शिर लगानेको जानुशिरासन कहते है | जानुशिरासन कैसे करे ? जानुशिरासन की विधि :- सर्वप्रथम Yoga Mat या आसन को बिछाकर बैठ जाए | 1)अब दोनों पैरोको आगे की और सीधे करले बाया पैर घुटनेमें से मोडकर एड़ी मलद्वार के पास लगाए और पैर का पंजा दाहिने पैर के जंघा से सटाहुआ रखें | अब दोनों हाथोंको ऊपर उठाते हुए धीरे धीरे श्वास भरे और आगे झुकते हुए धीरे धीरे श्वांस को छोड़ते हुए पैर का पंजा पकडे और सर घुटने को लगाए | अब इस स्तिथि में श्वास को कुछ सेकंड रोके और धीरे धीरे श्वास भरते हुए दोनों हाथ उप्पर उठाकर निचे करते समय श्वास छोड़े इस प्रकार जानुशिरासन को 2) अब इसी आसन को दूसरे पैर से दोहराए दाये पैर को घुटनेमें से मोडकर एड़ी मलद्वार को लगाय और पंजा बाये पैर के जंघा को सटाकर रखे | बाये पैर का घुटना सीधा रखें | अब दोनों हाथोंको ऊपर उठाते हुए धीरे धीरे श्
नौकासन नौकासन से पुरे शरीर का व्यायाम होता है | पेटकी चर्बी कम करने और पाचनतंत्र को सुधारनेके लिए नौकासन बहोत प्रभावशाली योगासन है | नौकासन कैसे करे ? नौकासन की विधि :- सर्वप्रथम YOGA MAT या आसन पे पीठ के बल लेट जाये दोनों पाँव मिला ले और श्वास को भरते हुए ऊप्पर उठाये दोनों हाथ और गर्दन पैर की ओर सीधे एक दिशामें आगे की और उठाए अब शरीर का आकर नौका जैसा बन जायेगा इस स्थिति में श्वास को 10 या 15 सैकंड रोके और श्वास को छोड़ते हुए पैर और हाथ को धरती पर लाए। इसप्रकार इस आसन को 2 से 3 बार दोहराएं । नौकासन के लाभ / फायदे 1) पेट के चर्बी को कम करनेमें विशेष लाभदायक और पेट की मांसपेशी को मजबूत करता है । 2) गैस, कब्ज , को ठीक करनेमें लाभदायक । 3) मेरुदंड को लचीला बनाकर मेरुदंड को मजबूती देता है । 3) पाचनतंत्र को बेहतर बनानेमें सहायक । 4) कंधो और हाथों की मांसपेशी को शक्ति देता है । 5) नाभि को संतुलित करने में लाभदायक है । 6) फेफड़ो को कार्यशील बनाता है और पुरे शरीर में रक्त का संचार ठीक तरह से होता ह
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