वृक्षासन ( Vrikshasan)

                                           वृक्षासन   

वृक्षआसन में शरीर का आकर वृक्ष जैसा बनता है| इसलिए इस आसन को वृक्षआसन  कहते है | 

वृक्षासन कैसे  करे ?
वृक्षासन की विधि :- 

सर्वप्रथम ताड़ासन में खड़े होजाये और दाहिना (right  Leg ) पैर घुटने में से मोड़कर ऊपर उठाये और बाए  (Left Leg )  पैर के जांघ पर दबाकर रखें  एड़ी उप्पर मलद्वार के पास लगाए और बाए पैर पर संतुलन बनाए इस स्थिमें श्वास भरकर दोनों हात ऊपर की करे और हथेली जोडले 8 से 10 सेकंड रुके और श्वास छोड़ते हुए हातोंको निचे करले और पैर धरती पर रखें | 
अब ठीक इसी प्रकार बाए पैर (Left Leg ) को घुटने में से मोड़कर ऊपर उठाये और दाए  पैर (Right  Leg ) के जांघ पर दबाकर रखें  एड़ी उप्पर मलद्वार के पास लगाए और दाहिने पैर पर संतुलन बनाए और  इस स्थिमें श्वास भरकर दोनों हात ऊपर लेजाये और हथेली जोडले 8 से 10 सेकंड रुके और श्वास छोड़ते हुए हातोंको निचे करले और पैर धरती पर रखें | वृक्षासन करते समय आगे की और देखे | 


वृक्षासन के लाभ/ फायदे  :-

वृक्षासन एकाग्रता को बढ़ता है और मन के विचारोपर नियन्रण करने में लाभदायक |
टखनों का और घूटनोका दर्द कम करता है और पैर और जांघ की माँस पेशियोंको मजबूत बनता है |
सहनशक्ति को बढ़ाता है | कंधो का दर्द दूरकर कंधोंकी मॉसपेशी को ताकत देता है |
 बच्चो  के सर्वांगीन विकास के लिए वृक्षासन बहोत ही लाभदायक है | 


वृक्षासन सावधानियाँ  :-

 घुटनेके दर्द वालो को ये आसान नहीं करना चाहिए | 
सरदर्द में वृक्षासन नहीं करना चाहिए | 


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