yoga for health good for back pain and headache improve body Pranayama is control of breath and awakening of Prana(Vital energy)Prana represents the pranic energy responsible for l life force & 'ayama' means control. So Pranayama is 'Control of Breath' nadishodhan, kapalbhati,naukasan,dhanurasan,janushirasan,Anulom vilom pranayam,uthanpadasan,vrikshasan,bramari markatasan,virbhadrasan, ardhapawanmuktasan
Thursday, April 30, 2020
Wednesday, April 29, 2020
वृक्षासन ( Vrikshasan)
वृक्षासन
वृक्षआसन में शरीर का आकर वृक्ष जैसा बनता है| इसलिए इस आसन को वृक्षआसन कहते है |
वृक्षासन कैसे करे ?
वृक्षासन की विधि :-

अब ठीक इसी प्रकार बाए पैर (Left Leg ) को घुटने में से मोड़कर ऊपर उठाये और दाए पैर (Right Leg ) के जांघ पर दबाकर रखें एड़ी उप्पर मलद्वार के पास लगाए और दाहिने पैर पर संतुलन बनाए और इस स्थिमें श्वास भरकर दोनों हात ऊपर लेजाये और हथेली जोडले 8 से 10 सेकंड रुके और श्वास छोड़ते हुए हातोंको निचे करले और पैर धरती पर रखें | वृक्षासन करते समय आगे की और देखे |
वृक्षासन के लाभ/ फायदे :-
वृक्षासन एकाग्रता को बढ़ता है और मन के विचारोपर नियन्रण करने में लाभदायक |
टखनों का और घूटनोका दर्द कम करता है और पैर और जांघ की माँस पेशियोंको मजबूत बनता है |
सहनशक्ति को बढ़ाता है | कंधो का दर्द दूरकर कंधोंकी मॉसपेशी को ताकत देता है |
बच्चो के सर्वांगीन विकास के लिए वृक्षासन बहोत ही लाभदायक है |
वृक्षासन सावधानियाँ :-
घुटनेके दर्द वालो को ये आसान नहीं करना चाहिए |
सरदर्द में वृक्षासन नहीं करना चाहिए |
Tuesday, April 28, 2020
अनुलोम विलोम प्राणायाम (Anulom - Vilom pranayam)
अनुलोम विलोम प्राणायाम
अनुलोम विलोम प्राणायाम का अर्थ है सीधा और उल्टा
एक नाशिका छिद्र से श्वास भरना और दूसरे नाशिका छिद्र से छोड़ना होता है इसलिए इस इस आसन को अनुलोम विलोम कहते है |
अनुलोम विलोम प्राणायाम कैसे करे :-
अनुलोम विलोम प्राणायाम की विधि :-
सर्वप्रथम खुली हवा में सुखासन या पद्यमासन में बैठ जाये और आप का मेरुदंड ( रीढ़की हड्डी सीधी हो अब प्राणायाम कैसे करना है आपको 1 -2 -1 -1 सूत्र का पता होना जरुरी है जैसे आप को श्वास भितर भरते समय 4 सेकेंड लगते है तो आपको २ गुना श्वास को रोकना है 8 सेंकंड और जब श्वास बाहर छोड़ते है तो 4 सेकेंड मैं छोड़ना है 4 सेकेंड रोकना है ध्यान रहे की केवल आप को श्वास २ गुना रोकना है | अब जो स्वर खुला हो या जिस स्वर से श्वास चलरहा हो उस स्वर से श्वास को 4 गिनने तक धीरे धीरे भीतर भरे और दूसरा स्वर अगुठे से बंद करले 8 काउंट करने तक श्वास भितर भर के रोके और दूसरे स्वर से या नाशिका छिद्र से श्वास 4 गिनने तक छोड़े और 4 (काउंट) या गिनने तक श्वास को रोके इस क्रिया को 1 -2 -1-1 का सूत्र कहते है| इस प्रकार अनुलोम विलोम प्राणायाम के करे|
अनुलोम विलोम प्राणायाम के लाभ/फायदे :-
यह प्राणायाम सभी प्रकार के स्नायु दर्द को दूरकर्ता है (pain clear ) का काम करता है|
त्रिदोष को सम करता है ( वात , पित्त और कफ )
शरीर के तापमान को सम करने में लाभदायक
सभी प्रकार की अलर्जी को ठीक करता है
श्वास की क्रिया दीर्घ होने से आयु लम्बी होती है
मन के विचार कम होकर मन को शांति मिलती है
ध्यान के लिए सहायक है
फेफड़ो के छोटे छोटे छिद्र खुल जाते है और फेफडोंकी की कार्य क्षमता को बढ़ाता है |
रक्त म ै ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है
स्मरण शक्ति को बढ़ाता है
सिरदर्द , जुखाम ,और साइनस की समस्य को ठीक करता है
शरीर की अनावश्यक चर्बी को काम करता है|
पक्षाघात या लकवा (Paralysis) के रोगी के लिए अनुलोम विलोम प्राणयाम बहुत ही लाभदायक रहा है |
अनुलोम विलोम प्राणायाम की सावधानियाँ :-
अनुलोम विलोम प्राणायाम खाना खाने के ३ घंटे बाद ही करे
Sunday, April 26, 2020
वीरभद्रासन (Virbhadrasan)
वीरभद्रासन

वीरभद्रासन कैसे करे ?
वीरभद्रासन |
सर्वप्रथम ताड़ासन की अवस्थामे खड़े होजाए और दाहिना पैर में

अब ठीक इसी प्रकार दूसरा पैर बाया पैर में 3.5 या 4 फीट का फासला ले और पैर घुटनेमें से मोड कर 90 अंश का कोन बनाए और दाया (Right leg ) पैर का घुटना सीधा रखें और श्वास भरते हुए दोनों हथेली उप्पर जोड़ले 8 से 10 गिनने तक रुके और श्वास छोड़ते हुए हाथ निचे करले और पैर भी सीधा करले।
वीरभद्रासन के लाभ :-
वीरभद्रासन की सावधानियाँ :-
उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तिको यह आसन नहीं करना चाहिए।
ह्रदय रोगी को ये आसन नहीं करना चाहिए।
घुटनो में दर्द हो तो ये आसन किसी योग शिक्षक के परामर्श से करे।
- घुटनोंका दर्द, कमरदर्द , कंधोंके दर्द में बहोत लाभदायक है।
- मेरुदंड पे दबाव पडने से शरीर में रक्त प्रवाह तेजी से होता है।
- पैर की मांसपेशिया मजबूत बनती है।
- वीरभद्रासन साईटिका में भी आरामदायक है।
- वजन कम करने में सहायक है।
- सहनशक्ति को बढ़ता है।
- फेफडोंको मजबुत बनता है।
वीरभद्रासन की सावधानियाँ :-
उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तिको यह आसन नहीं करना चाहिए।
ह्रदय रोगी को ये आसन नहीं करना चाहिए।
घुटनो में दर्द हो तो ये आसन किसी योग शिक्षक के परामर्श से करे।
Saturday, April 25, 2020
कपालभाती एक योगिक क्रिया (Kapalbhati ek yogik Kriya)
कपालभाती एक योगिक क्रिया
कपाल का अर्थ है'खोपड़ी,अथवा माथा और भाती अर्थ है प्रकाश या तेज़ इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से मुख पर आंतरिक प्रभा(चमक) आ जाती है ।
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कपालभाती योगिक क्रिया |
कपालभाती कैसे करे?
कपालभाती की विधि :-
सर्वप्रथम कम्बल या दरी बिछाकर पद्मासन या स्वस्तिकासन,सुखासन मैं बैठे|
रीढ़ की हड्डी सीधी करके बैठे| अब श्वास १ सेकंड में एक बार झटकेसे बाहर फेंके|
श्वास लेने की जरुरत नहीं है| केवल आपको श्वास को बाहर फेंकना है| श्वास अपने आप भीतर आता है|इस क्रियाको करते रहे श्वास को झटके से बाहर छोडे|कपालभाती के बीचमें और अंत मैं त्रिबंध लगाए| मानलो आपको कपालभाती ४ मिनट करनी है तो आप २ मिनट कपालभाती करके बाद त्रिबंध लगाए और ४ मिनट के बाद त्रिबंध लगाए|अब त्रिबंध कौन कौनसे है इस के बारेंमे जानलेते है|
१)मूलबन्ध :- मलद्वार को उप्पर की और सिकुड़ कर खींचना इस क्रिया को मूलबन्ध कहते है |
२)उड्डियांबंध :- श्वास को बाहर छोड़कर पेट को अंदर की और खींचना इस को उड्डीयांबंध कहते है |
३)जालन्धरबंध :- ठोड़ी को कण्ठ मूलकेसाथलगाया जाता है | इस को जालन्धरबंध कहते है|
कपालभाति करते समय ऐसी भावना करे की मेरे शरिर मैं से सभी विषैले पदार्थ एव मनके दुर्गुणभी हवाके साथ बाहर फेंके जारहे है|कपालभाति प्राणायाम इस प्रकार आप शुरू मैं १ या २ मिनट तक करे|कपालभाति का अभ्यास धीरे धीरे बढ़ा सकते है| २ मिनट से २५ मिनट या ३० मिन्ट अभ्यास बढ़ा सकते है|
कपालभाती के लाभ :-
चेहरे पर तेज और ओज की प्राप्ति होती है|
पुरे शरीर का शोधन होजाता है|
रक्तमें ऑक्सिजन की मात्रा बढ़ जाती है|
दाँत मजबूत होजाती है|
पुरानी कब्ज और सरदर्द,से छुटकारा मिलता है|
पेट के सबन्धित सारे विकार दूर होजाते है|
चमड़ी के रोग रक्त दूषित होने से होते है परंतु कपालभाती यौगिक क्रिया से रक्त शुद्ध होने से सभी प्रकार के चमड़ी के रोग और अलर्जी ठीक करने में सहायक है|
त्रिदोष संतुलित होजाते है वात,पित्त,और कफ
सकारत्मक विचारो को बढ़ाता है।
आयुमें वृद्धि होती है|
अनिंद्रा की समस्या में लाभदायक है |
शुगर को कम करने में कपालभाती क्रिया बहुत प्रभावशाली है।
कपालभाती योगिक क्रिया की सावधानियाँ
जिनका High blood pressure होगा उनको कपालभाती करते समय २ या ३ सेकण्ड में एक बार ही झटके से श्वास छोड़े सामान्य वयक्ति की तरह जल्दी जल्दी ना करे।
कमरदर्द हो तो कपालभाती का अभ्यास ना करे।
पेट के ऑपरेट बाद कपालभाती ना करे।
Friday, April 24, 2020
नाडीशोधन प्राणायाम (Nadishodhan Pranayam)
नाड़ीशोधन प्राणायाम
मानव शरीरमे नाड़ी की संख्या हठयोग प्रदीपिका नाड़ियों का संख्या ७२000 है। इन में से ३ नाडिया मुख्य है इड़ा , पिगला , और सुषुम्ना ये मुख्य नाड़ियों द्वारा संपूर्ण शरीर में प्राण का संचार होता है।
हमारे ऋषि कहते है और इतनी सारी नाड़िओ शोधन केवल नाड़ीशोधन प्राणायाम से ही संभव है इसलिए ऋषियोने हमें नाड़ी शोधनरूपी प्राणायाम की साह्यता से शरीर की सम्पूर्ण नाडियोका शोधन यानि शुद्ध हो जाती है ।रक्तमे ऑक्सिजन की मात्रा को बढ़ाता है।
नाड़ीशोधन प्राणायाम कैसे करे
नाड़ीशोधन प्राणायाम की विधि :
↓
1 ) सर्वप्रथम खुली हवामे आसन बिछाकर पदमासन या जैसे आप सीधे ज्यादा समय तक बैठ पाए ऐसे आसन मैं बैठे अब नाशिका छिद्र को चेक करे कोनसे नाशिका छिद्र से श्वास चलरहा है दाए या बाए जिस नाशिका छिद्र से श्वास चलरहा है उससे 4 गिनने तक धीरे धीरे श्वास भीतर भरे और जो नाशिका बंद है। उसे अगुठे से बंद करले और 8 गिनने तक रोके और उसी नाशिका छिद्र से 4 गिनने तक श्वास धीरे धीरे बाहर छोड़कर भी 4 गिनने तक रोके और पुनः उसी नाशिका से श्वास धीरे धीरे भीतर भरे इस प्रकार 8 या 10 बार इस क्रिया को दोहराये। ध्यान दे श्वास रोकने की जो प्रक्रिया है रेश्यो है 1 -2 -1 -1 है मानलो आप 4 गिनने तक श्वास भरते है तो उससे दुगुना रोके 8 गिनने तक और छोड़ते समय 4 गिनने तक श्वास छोड़े
2 ) अब ठीक इसी प्रकार दूसरे नाशिका छिद्र से नाड़ीशोधन करे अब दूसरे नाशिका छिद्र से श्वास को 4 गिनने तक धीरे धीरे श्वास भीतर भरे और जिस नाशिका अभी आपने नाड़ीशोधन प्राणायाम किया है उसे अगुठे से बंद करले और श्वास 8 गिनने तक रोके और उसी नाशिका छिद्र से 4 गिनने तक श्वास धीरे धीरे बाहर छोड़कर भी 4 गिनने तक रोके और पुनः उसी नाशिका से श्वास धीरे धीरे भीतर भरे इस प्रकार 8 या 10 बार इस क्रिया को दोहराये। ध्यान दे श्वास रोकने की जो प्रक्रिया है रेश्यो है 1 -2 -1 -1 है मानलो आप 4 गिनने तक श्वास भरते है तो उससे दुगुना रोके 8 गिनने तक और छोड़ते समय 4 गिनने तक श्वास छोड़े
3) अब दोनों नाशिका छिद्र से 4 गिनने तक श्वास भरे और 8 गिनने तक रोके पुनः 4 गिनने तक श्वास मुख को खोल के श्वास बाहर छोड़े और बाहर छोड़कर 4 गिनने तक रोके और दोनो नाशिका छिद्र से श्वास भरे इस प्रकार से नाड़ीशोधन का 3 रा प्रकार आप को 5 या 6 बार करे
नाड़ीशोधन प्राणायाम के फायदे :-
शरीर में ऑक्सिजन की सप्लाई को बेहतर बनाता है और रक्त को शुद्ध करता है।रक्त में आक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है।
मन को शांति मिलती है।
आयु लम्बी होती है और स्मरण शक्ति बढ़ जाती है।
मानसिक तनाव कम हो जाता है। ध्यान में मन लगता ।है।,सरदर्द में लाभदायक है।
Vascular purification pranayama
The number of pulse in the human body is 64000 in the number of Hatha Yoga Pradipika. Out of these, 3 nadia are main. Eda, Pigla and Sushumna. These main nadis transmit the life of the whole body.Our sages say that and so many pulse resection is possible only with the nadisodhan pranayama, so the sage gives us purification of the entire body of the body by purification of pulse resection pranayama i.e. purification of the body increases the amount of oxygen in the blood.
In this way, you sit and practice pulse treatment.
4
How to do Nadisodhan Pranayama ↓
Method of Nadisodhan Pranayama:
First of all, by laying the posture in the open air, Padmasana or as you sit for a long time in such an easy manner, now check the nasal cavity, which one is breathing through the nasal cavity, the right or the left one is inhaled slowly and the nasal cavity is inhaled. Are as many as closed. Close the forearm for as long as you can inhale and stop until the breath is exhaled slowly from the same nasal cavity until it can stop and then inhale slowly from the same intoxicant, thus filling it 8 or 10 times. Repeat the
Now do the same with other drugs
Breathing stops inside and stops even after exiting
Benefits of Nadisodhan Pranayama: -
Improves the supply of oxygen in the body and purifies the blood.
The amount of oxygen in the blood increases.
The mind gets peace.
Age is long and memory increases
Mental stress is reduced. Meditation takes place in meditation, beneficial in headache
Thursday, April 23, 2020
त्रियक ताड़ासन (triyak Tadasan)
https://healthasan.blogspot.com
तिर्यक ताड़ासन (Tiryaka Tadasana)
कब्ज या कमर के पास जमी चर्बी से हैं परेशान? योग में तिर्यक ताड़ासन (tiryaka tadasana) अधिकतर लोग मोटापा, कब्ज, कमर व पेट के आसपास चर्बी जमा होने, कंधों में दर्द, मेरुदंड आदि से संबंधित समस्याओं का सामना करते हैं। इन सभी समस्याओं से बचने का बेहतर उपाय है I बेहतर खानपान, व्यायाम और योग का अभ्यास। कब्ज, कमर के पास की जमी चर्बी को कम करने के लिए और शरीर को लचीला बनाने के लिए आप तिर्यक ताड़ासन (Triyaka Tadasana) का अभ्यास कर सकते हैं। कब्ज से अधिकतर लोग परेशान रहते हैं। योग में तिर्यक ताड़ासन (tiryaka tadasana) करके आप इन सभी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।
त्रियक ताड़ासन कैसे करे ?
आसन की विधि :
- खुली और हवादार जगह पर दरी या आसन बिछाकर ताड़ासन की अवस्था में खड़े हो जाएं।
- दोनों पैरों के बीच एक या डेढ़ फिट की दुरी हो और पैर बिल्कुल सीधे हों।
- दोनों हाथों की उंगुलियों को आपस में लॉक करले। इन्हें सिर के ऊपर रखे श्वास भरते हुए दोनो हातोको उप्पर उठाये
- और पुरे शरीर को ऊपर की तरफ तानें। अब शरीर को कमर मे से दाईं (Right side) तरफ झुकाएं। जब तक श्वास भरकर रुख सकते है रोखे रखे और श्वास छोड़ते हुए दोनो हातोंको शिर्के उप्पर करे दोनो हात दोनो कानोंके सातलगे होने चाहिए
- अब ठीक इसी प्रकार श्वास भरते हुए शरीर को कमर मे से बाई (Left Side) तरफ झुकाएं। जब तक श्वास भरकर रोख सकते है तब तक रोखे रखे जब श्वास ना रोखा जाये तब श्वास छोड़ते हुए दोनो हात निचे करले
इस आसन की पुनर आवृति २ या ३ बार करे
इसके नियमित अभ्यास से शरीर लचीला बनता है। मेरुदंड की अच्छी मालिश होती है। कंधों को मजबूती मिलती है। कमर पतली होती है। साइड से चर्बी कम होती है। कमर दर्द मे आराम मिलता हैI
Tiryaka Tadasana
Troubled with constipation or frozen fat near your waist? In yoga, tiryaka tadasana most people face problems related to obesity, constipation, fat accumulation around the waist and abdomen, pain in shoulders, spine, etc. A better way to avoid all these problems is better eating, exercise and practicing yoga. You can practice Triyaka Tadasana to reduce constipation, frozen fat near the waist and to make the body flexible. Most people suffer from constipation. You can get rid of all these problems by doing Tiryaka Tadasana in Yoga.
How to do Trinity Tadasana?
Asana Method:
Pulizia completa del nostro intestino
Deep exhalation Deep inhalation Hasta Utthanasana 136 Tadasana 139 ...
Stand in a state of Tadasana by laying Dari or Asanas in an open and airy place.
One or one-half fit between the two legs and the legs should be straight.
Lock the fingers of both hands with each other. Put them on top of the head and raise both arms
And spread the whole body upwards. Now tilt the body from the waist to the right side. As long as you can inhale, keep crying and while exhaling, both the hands should be covered with the two ears.
Now, while breathing in the same way, tilt the body from the waist to the left side. As long as you can inhale and keep it, keep it until the breath is stopped, then while exhaling, do both hands
Repeat this asana 2 or 3 times
Benefits of trinity
Regular exercise makes the body flexible. There is a good massage of the spinal cord. The shoulders are strengthened. The waist is thin. Fat is reduced from the side. There is relief in back pain.
Note - It is one of the pillars of conch shell
त्रियक ताड़ासन के लाभ
टिप्पणी - यह शंख प्रक्षालन के आसनो मे एक है
Tiryaka Tadasana
Troubled with constipation or frozen fat near your waist? In yoga, tiryaka tadasana most people face problems related to obesity, constipation, fat accumulation around the waist and abdomen, pain in shoulders, spine, etc. A better way to avoid all these problems is better eating, exercise and practicing yoga. You can practice Triyaka Tadasana to reduce constipation, frozen fat near the waist and to make the body flexible. Most people suffer from constipation. You can get rid of all these problems by doing Tiryaka Tadasana in Yoga.
How to do Trinity Tadasana?
Asana Method:
Pulizia completa del nostro intestino
Deep exhalation Deep inhalation Hasta Utthanasana 136 Tadasana 139 ...
Stand in a state of Tadasana by laying Dari or Asanas in an open and airy place.
One or one-half fit between the two legs and the legs should be straight.
Lock the fingers of both hands with each other. Put them on top of the head and raise both arms
And spread the whole body upwards. Now tilt the body from the waist to the right side. As long as you can inhale, keep crying and while exhaling, both the hands should be covered with the two ears.
Now, while breathing in the same way, tilt the body from the waist to the left side. As long as you can inhale and keep it, keep it until the breath is stopped, then while exhaling, do both hands
Repeat this asana 2 or 3 times
Benefits of trinity
Regular exercise makes the body flexible. There is a good massage of the spinal cord. The shoulders are strengthened. The waist is thin. Fat is reduced from the side. There is relief in back pain.
Note - It is one of the pillars of conch shell
Wednesday, April 22, 2020
ताड़ासन (Tadasan)
ताड़ासन (Tadasana)
आरोग्य प्राप्ति एवं स्वास्थ्य रक्षामें योगासनोका अभ्यास एक महत्वपूर्ण घटक है। यूं तो योगका संबंध मनके स्थिरता से है।चितव्रतीयोका का निरोध करना है। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का निवास होता है। इसलिए शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग एवं प्राणायाम का अभ्यास करना महत्त्व पूर्ण है।सम्पूर्ण शरीर के अंगोको व्यायाम होता है। ताड़ासन करने से
ताड़ासन कैसे करेआसन की विधि
- इसके लिए सबसे पहले आप खड़े हो जाए और अपने कमर एवं गर्दन को सीधा रखें।
- अब आप अपने हाथ को लॉक करके सिर के ऊपर करें और सांस लेते हुए धीरे धीरे पुरे शरीर को खींचें।
- खिंचाव को पैर की अंगुली से लेकर हाथ की अंगुलियों तक महसूस करें। और पेट को अंदर खींचे
- इस अवस्था को कुछ समय के लिए बनाये रखें
- फिर सांस छोड़ते हुए धीरे धीरे अपने हाथ एवं शरीर को पहली अवस्था में लेकर आयें।
- इस तरह से एक चक्र पूरा हुआ।
- कम से कम इसे दो से तीन बार इस आसन का अभ्यास करें
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- ताड़ासन हाइट बढ़ाने के लिए: यह आसन बच्चों की हाइट बढ़ाने के लिए अतिउत्तम योगाभ्यास है। उचाई बढ़ाने के लिए 6 से 20 साल के बच्चों को यह आसन करवाया जाता है।
- ताड़ासन पीठ की दर्द के लिए: यह आसन पीठ की दर्द के लिए बहुत लाभकारी है। अगर इसका सही तरह से अभ्यास किया जाए तो पीठ की दर्द से हमेशा हमेशा के लिए छुटकारा पाया जा सकता है। इसमें आप ऊपर की ओर अपने आप को खिंचते है और जहाँ पर दर्द है वहां खिंचाव को महसूस करने की कोशिश करते हैं।
- ताड़ासन नसों एवं मांसपेशियों की दर्द के लिए : अगर आप नसों की दर्द से परेशान हैं तो आपको पर्वतासन करनी चाहिए। यह नसों की दर्द को ही कम नहीं करता बल्कि मांसपेशियों के साथ नसों को मजबूत और सबल बनाता है। मांसपेशियों की ऐंठन और मरोड़ जैसी समस्याओं को भी दूर करने मेीं मदद करता है।
- घुटने की दर्द से राहत: अगर आप घुटने की दर्द से परेशान हैं तो आपको इस आसन का अभ्यास करनी चाहिए। लेकिन ध्यान रहे इसमें आपको अपने तलवे को जमीन पर ही रखनी है और पैर की अंगुलियों पर आकर इस आसन को नहीं करनी है।
- ताड़ासन एकाग्रता और संतुलन के लिए: इस योग को ठीक तरह से करने से आपकी एकाग्रता में बढ़ोतरी होती है। नियमित रूप से इसका अभ्यास करने से शरीर में संतुलन का अच्छा खासा प्रभाव देखा जा सकता है।
- ताड़ासन पैरों को मजबूती देता है : ताड़ासन पैरों की समस्यां जैसे सूजन, दर्द, सुन्न, जलन और झनझनाहट के लिए काफी लाभदायक है है।
- ताड़ासन सायटिका के लिए: इस आसन को नियमित रूप से किया जाए तो सायटिका का दर्द बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
- ताड़ासन दर्द और पीड़ा के लिए: इसके अभ्यास करने से पुरे शरीर का दर्द व पीड़ा को कम किया जा सकता है।
- कब्ज के ताड़ासन लिए : सुबह पाणी पिनेके बाद ताड़ासन करने से पेट जल्दी साफ होकर कब्ज की समस्या में आराम मिल मिलता है
ताड़ासन की सावधानियाँ
- ताड़ासन वैसे साधक को नहीं करनी चाहिए जिनके घुटने में बहुत ज्यादा दर्द हो।
- यह आसन गर्ववती महिला के लिए वर्जित है।
- इसका अभ्यास उस वक्त नहीं करनी चाहिए जब आपको सिर दर्द हो।
- अगर आप इस आसन को करना सीख रहें हैं तो पैरों की अंगुलियों पर आकर इस योगाभ्यास को मत करें।
- अगर रक्तचाप ज्यादा या कम हो तब भी इस आसन को करने से बचना चाहिए।
Tasasan
Yogasanoka practice is an important component in health recovery and health protection. Because of this, yoga is related to beaded stability.
To prevent Chitravriyotika. a healthy mind in a healthy body. Therefore, practicing yoga and pranayama is important for physical and mental health.
Parts of the whole body are exercised. Meditating
How to do Tadasana :-
Posture method

For this, first you stand up and keep your waist and neck straight.
Now lock your hand over the head and while breathing, slowly pull the entire body.
Feel the stretch from toe to toe. And pull the stomach in
Keep this state for a while
Then while exhaling, slowly bring your hands and body to the first position.
In this way a cycle was completed.
At least practice this asana two to three times
Individual Yoga Instruction: Tadasana (palm tree pose)
1) To increase the height of Tadasana: This asana is the best yoga practice to increase the height of children. This posture is done to children aged 6 to 20 years to increase height.
2)Tadasana for back pain: This asana is very beneficial for back pain. If practiced properly, back pain can be relieved forever. In this you pull yourself upwards and try to feel the stretch where there is pain.
3)Tadasana for pain of nerves and muscles: If you are troubled by neuralgia, then you should pray. This not only reduces the pain of the nerves, but also makes the nerves stronger and stronger with the muscles. It also helps in relieving problems like muscle spasms and torsion.
Knee Pain Relief: If you are suffering from knee pain then you should practice this asana. But keep in mind that in this you have to keep your sole on the ground and do not do this asana by coming on the toes.
4)Tadasana for concentration and balance: By doing this yoga properly, your concentration increases. By practicing it regularly, a significant effect of balance can be seen in the body.
5) Tadasana strengthens the feet: Tadasana is very beneficial for foot problems such as swelling, pain, numbness, burning sensation and tingling.
6) For Tadasana Psytika: If this asana is done regularly, the pain of Psytika can be reduced to a great extent.
Tadasana for pain and suffering: By practicing it, the pain and pain of the whole body can be reduced.
For Tadasan of constipation: Tadasana after drinking water in the morning, cleansing the stomach quickly and provides relief in constipation problem.
Tadasan precautions :
Tadasan precautions :
Tadasana should not be done by a seeker who has severe pain in his knee.
It should not be practiced when you have a headache.
If you are learning to do this asana, then do not do this yoga practice by coming on the fingers of the feet.
If this blood pressure is high or low, then this asana should be avoided.
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