Saturday, May 16, 2020

मंडूकासन (Mandukasan)

                            मंडूकासन 

मंडूकासन में शरीर कर आकर मेंढक जैसा होता है इसलिए इस आसन को मंडूकासन कहते है | हिंदीमें मंडूक को मेंढक कहते है | 
मंडूकासन मधुमेह को  नियंत्रित करनेमें बहुत ही महत्व पूर्ण भूमिका निभाता है | मंडूकासन पाचनतंत्र को मजबूत बनाता है | 

  मंडूकासन कैसे करे ?
मंडूकासन की विधि   :-

Yoga mat या दरी बिछाकर वज्रासन में बैठ जाये | 
वज्रासन में बैठ जाएं फिर दोनों हाथों की मुठ्ठी बंद कर लें। मुठ्ठी बंद करते समय अंगूठे को अंगुलियों से अंदर दबाइए। फिर दोनों मुठ्ठियों को नाभि के दोनों ओर लगाकर श्वास बाहर निकालते हुए  आगे झुके  छाती  घुटनो के साथ लगाये सामने देखे और श्वास को यथा शक्ति रोके अब धीरे धीरे श्वास  भरते हुए गर्दन को उप्पर उठाये इस प्रकार इस आसन को 2 से 3 बार दोहराये 


मंडूकासन के लाभ :-

1) मधुमेह को नियंत्रित करता है | 
2)  कब्ज को ठीक करता है | 
3) जठर अग्नि को प्रदिप्त करता है | 
4) अपचन को ठीक करता है,और भूख  बढ़ाता है | 


मंडूकासन की सावधानी :-
कमरदर्द , घुटनों का दर्द होने पर मंडूकासन किसी योग चिकित्सक के देख- रेख में करे | 
पेट का ऑपरेट होने पर यह आसन नहीं करना चाहिए | 








Wednesday, May 13, 2020

भ्रामरी प्राणायाम (Bramari pranayam)

  भ्रामरी प्राणायाम

भ्रामरी प्राणायाम एक रहस्यम्य और अद्भुत प्राणायाम है। भ्रामरी की उत्पति भ्रमर से हुई है।
भ्रमर यानी भौरा इस प्राणायाम में भौरे की तरह गुंजन के समान ध्वनि उत्पन्न की जाती है। इस प्राणायाम से ध्वनि के स्पंदन से मन और मस्तिष्क में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ओर इस ध्वनि का प्रभाव पिनियल ग्रंथि पर पडता है। ॐ के गुंजन से जो लाभ प्राप्त होते है वह भ्रामरी प्राणायाम से होते है। इसलिए इस प्राणायाम को महत्व पूर्ण प्राणायाम में शामिल किया गया है।
भ्रामरी प्राणायाम कैसे करे ?

भ्रामरी प्राणायाम की विधि :-


पद्मासन में या सुखासन में बैठ जाए मेरुदंड सीधा और सिर सीधा रखें 
आंखे बंद करे लंबा और गहरा श्वास ले 
अपनी दोनों हाथ की तर्जनी ऊंगली से दोनों कान के छिद्र इस प्रकार बंद करे की बाहर की कोई आवाज सुनाई न दे ओर मुख़ बंद करके भौरे की तरह गुंजन करते हुए नाक से श्वास को धीरे धीरे बाहर छोड़े इस प्रकार भ्रामरी प्राणायाम 7 या 8 बारे दोहराए।

भ्रामरी प्राणायाम के फायदे :-
  1) स्मरण शक्ति को बढ़ाता है।
  2) मानसिक तनाव को दूर करके मन को शांति देता है। 
3) सिरदर्द को ठीक करता है।
4) अनिंद्रा और चिंता से मिलती है। 
5) मन की एकाग्रता को बढ़ाता है।
6) क्रोध को शांत करने में लाभदायक









Sunday, May 10, 2020

ऊष्ट्रासन ( Ushtrasan)

                                                  ऊष्ट्रासन 

ऊष्ट्रासन में शरीर का आकार ऊंट के जैसे होता है ।इसलिए इस आसन को ऊष्ट्रासन कहते है  ।ऊष्ट्रशब्द संस्कृत है और हिंदी में ऊंट कहते है।
इस आसन को करने से मेरुदंड को शक्ति मिलती है और मेरुदंड को लचीला बनाने में महत्व पूर्ण आसन है।पेट, कंधा , गर्दन, जंघा और घुटनोंमें दबाव पड़ता है । 

ऊष्ट्रासन कैसे करे ? <script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-5142264719200248"
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ऊष्ट्रासन की विधि :-

सर्वप्रथम Yoga Mat या दरी बिछाकर वज्रासन में बैठ जाये 
1 ) श्वास भरते हुये घुटनों के बल बैठे घुटनों के बिच में आधा फ़ीट का अंतर ले और दोनों हाथ कमर पर रखते हुये  
 पीछे झुके और गर्दन को भी पिछे झुकाये 

2) अब दोनों हाथ कमर से हटाकर कमरको झटका दिए बिना पैरों की एड़ी को पकड़ने की कोशिश करे ।
3) धीरे धीरे श्वास भीतर भरके यथाशक्ति  कुछ सेकेंड रोके और धीरे धीरे श्वास छोड़ते हुये दोनों हाथ कमर पे रखकर शरीर का संतुलन बनाते हुये वापीस वज्रासन में बैठ जाये इस प्रकार इस आसन का 2 या ३ बार अभ्यास करे ।


ऊष्ट्रासन के लाभ/ फायदे 

1)  मेरुदंड को लचिला बनाकर मजबूती प्रदान करता है ।
2)  फेफड़ो को मजबूत बनाकर फेफडोंकी कार्यक्षम को बढ़ाता है । 
3)  थाइरॉइड्स को ठीक करने में लाभदायक 
4)  किडनी, लिवर,छोटी आंत को कार्यशील बनता है ।
5) घुटने और जंघा की माँसपेशी को मजबूती प्रदान करता है। 
6) आंखोकी रोशनी को बढ़ाने में लाभदायक है ।

ऊष्ट्रासन की सावधानियाँ 
1) हर्निया, मेरुदंड में चोट लगी हो या दर्द होतो ये आसन नहीं करना चाहिए ।
2) उच्च रक्तचाप या हृदय रोग होने पर ये आसन नहीं करना है चाहिए ।





   


Friday, May 8, 2020

योगमुद्रासन

                                       योगमुद्रासन 

योगमुद्रासन योग को साधने के लिए एक प्रभावशाली आसन है | योग में योगमुद्रासन का महत्व पूर्ण आसनो में शामिल किया गया  है | योगमुद्रासन शारीरिक एवं मानसिक रोगोंमें विशेष लाभदायक है | योगमुद्रासन करने से अपचन, मंदाग्नि, कब्ज से मुक्ति मिलती है  छोटी आंत, बड़ी आंत पर दबाव पड़ता है |  किडनी, लीवर , एवं जठर अग्नि को प्रदीप्त करने में महत्त्व पूर्ण भुमका निभाता है | 



योगमुद्रासन कैसे करे ?


योगमुद्रासन की विधि :-


सर्वप्रथम आसन पे बैठ जाए पद्मासन लगाए और दोनों हाथ मेरुदंड के पास ले जाकर दोनों हाथ की  उँगलियाँ आपसमें  फसाकर lock करले और श्वास को भरते हुए धीरे धीरे हाथ ऊपर करले और श्वास छोड़ते हुए ठोड़ी या सर को धरती पे लगाए  10 से 12 सेकंड रोके ओर सर को ऊपर उठाते हुए  श्वास धीरे धीरे श्वास भरे इस प्रकार इस आसन को 2 या 3 बार दोहराये 


 योगमुद्रासन के फायदे / लाभ 


1) योगमुद्रासन से अपचन, मंदाग्नि , कब्ज़ , छोटी आंत और बड़ी आंत पे दबाव पड़ने से कब्ज की समस्या से छुटकारा मिलता है | 
2) किड़नी, लिवर , को कार्यशील बनता है | 
3 ) जठर अग्नि को प्रदीप्त करके भूक बढ़ाता है | 
4 ) मानसिक तनाव को दुरकरता  है और ध्यान में मनको एकाग्र करने में सहायता करता है | 
5) बवासीर को ठीक करने में योगमुद्रासन सहायक है| 
6) पुरे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है | 
7) फेफडोंको कार्यशील बनाकर मजबूती प्रदान करता है | 















Wednesday, May 6, 2020

जानुशिरासन (janushirasan)

                                           जानुशिरासन 

जानुशिरासन एक उत्कर्ष एवं सम्पूर्ण शरीर के अंगो को शक्ति का संचार करनेवाला है | जानुशिरासन मानसिक तनाव को दूर करनेमें सहायक है | 
जानू का अर्थ है घुटना और शिर यानि सर घुटने को शिर लगानेको जानुशिरासन कहते है | 


 जानुशिरासन कैसे करे ?


जानुशिरासन की विधि :-

सर्वप्रथम Yoga Mat या आसन को बिछाकर बैठ जाए |

1)अब दोनों पैरोको आगे की और सीधे करले बाया पैर घुटनेमें से मोडकर एड़ी मलद्वार के पास लगाए और पैर का पंजा दाहिने पैर के जंघा से सटाहुआ रखें | अब दोनों हाथोंको ऊपर उठाते हुए धीरे धीरे श्वास भरे और आगे झुकते हुए धीरे धीरे श्वांस को छोड़ते हुए पैर का पंजा पकडे और सर घुटने को लगाए | अब इस स्तिथि में श्वास को कुछ सेकंड रोके और धीरे धीरे श्वास भरते हुए दोनों हाथ उप्पर उठाकर निचे करते समय श्वास छोड़े   
इस प्रकार जानुशिरासन को
  2) अब इसी आसन को दूसरे पैर से दोहराए 
दाये पैर को घुटनेमें से मोडकर एड़ी मलद्वार को लगाय और पंजा बाये पैर के जंघा को सटाकर रखे | बाये पैर का घुटना सीधा रखें |अब दोनों हाथोंको ऊपर उठाते हुए धीरे धीरे श्वास भरे और आगे झुकते हुए धीरे धीरे श्वांस को छोड़ते हुए पैर का पंजा पकडे और सर घुटने को लगाए | अब इस स्तिथि में श्वास को कुछ सेकंड रोके और धीरे धीरे श्वास भरते हुए दोनों हाथ उप्पर उठाकर निचे करते समय श्वास छोड़े | 
जानुशिरासन को 2 से 3 बार दोहराये 
जो इस आसन को पहली बार करेंगे उनका सर घुटने को नहीं लगेगा और नाही पैर के पंजो को पकड़ पाएंगे उनको यह आसन कठिन लगेगा पर कुछ दिन के अभ्यास के बाद ठीक तरह कर सकते है |

जानुशिरासन के लाभ /फायदे 


1 )जानुशिरासन मानसिक तनाव को कम करता है | 
2) किडनी, लिवर ,को कार्यशील बनाता है और जठर  
अग्नि को तीव्र करता है | 
3) अजीर्णता और कब्ज को दूरकर है | 
4) फेफडोंको कार्यशील बनाकर पुरे शरीरमें ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है | 
5) मेरुदंड को लचिला बनाता है 
6) पैर, घुटने, जंघा की मासपेशिको मजबूत बनता है | 



जानुशिरासन की सावधानिया  :-


कमर दर्द  में यह आसन नहीं करना चाहिए | 







  





Tuesday, May 5, 2020

नौकासन ( Naukasan)

                                     

                          नौकासन 


नौकासन से पुरे शरीर का व्यायाम होता है |

पेटकी चर्बी कम करने और पाचनतंत्र को सुधारनेके लिए नौकासन बहोत प्रभावशाली योगासन है | 

  नौकासन कैसे करे ?


नौकासन  की विधि :-

सर्वप्रथम YOGA MAT या आसन पे पीठ के बल लेट जाये दोनों पाँव मिला ले और श्वास को भरते हुए ऊप्पर उठाये दोनों हाथ और गर्दन पैर की ओर सीधे एक दिशामें आगे की और उठाए अब शरीर का आकर नौका जैसा बन जायेगा इस स्थिति में श्वास को 10 या 15 सैकंड  रोके और श्वास को छोड़ते हुए पैर और हाथ को धरती पर लाए। इसप्रकार इस आसन को 2 से 3 बार दोहराएं । 

नौकासन के लाभ / फायदे 


1) पेट के चर्बी को कम करनेमें विशेष लाभदायक और पेट की मांसपेशी को मजबूत करता है ।

2) गैस, कब्ज , को ठीक करनेमें लाभदायक ।
3) मेरुदंड को लचीला बनाकर मेरुदंड को मजबूती देता है ।
3) पाचनतंत्र को बेहतर बनानेमें सहायक । 
4) कंधो और हाथों की मांसपेशी को शक्ति देता है ।
5) नाभि को संतुलित करने में लाभदायक है । 
6) फेफड़ो को कार्यशील बनाता है और पुरे शरीर में रक्त का संचार ठीक तरह से होता है ।

 नौकासन की सावधानीया :-


कमर में दर्द हो तो ये आसन नहीं करना चाहिए ।

हर्निया के रोगी को ये आसन नहीं करना चाहिए। 
रीढ़ के हड्डी में दर्द होता हो आसन नही करना चाहिए।











Monday, May 4, 2020

मर्कटासन (Markatasan)

                           मर्कटासन 


मर्कटासन कमरदर्द के लिए बहोत ही प्रभावशाली आसन है | मर्कट को हिंदी में बंदर कहते है |
जिस प्रकार बंदर की कमर लचीली होती है |  और कभी कमर दर्द नहीं होती | ठीक ऐसे ही जो इस आसन का अभ्यास करेंगे उनकी कमरदर्द कभी नहीं होगी | मर्कटासन से तुरंत कमरदर्द में आराम मिलता है | 


मर्कटासन कैसे करे ?

मर्कटासन की विधी  :-



सर्वप्रथम आसन पर लेट जाये और दोनो पाँव धुटनेमे से मोडले और दोनों हाथ दोनो बाजु में कंधोके समान अंतर में फैलाये हाथीली ऊपर की ओर होना चाहिए | और गर्दन बाये side बाजु की कर मोड ले अब श्वास भरते हुये दोनों पाँव के घुटने दाहिनी side बाजु की और झुकाये ध्यान रहे की एड़ी पे एड़ी और घुटनो पे घुटने हो श्वास को 8 से 10 गिनने तक रोके और धीरे धीरे श्वास छोड़ते हुये दोनों पैर के घुटने ऊपर करले 

अब दुरी side से दोनों पैर के घुटनो को बाये side की और झुकाते हुये श्वास भीतर भरे और दोनों हाथ दोनों side मे कंधोके समान अंतर में फैलाये हुए गर्दन दाहिनी side की और मोडले श्वास को 8 से 10 गिनने तक रोके और धीरे धीरे श्वास छोड़ते हुए पाँव के घुटने सीधे ऊपर की ओर करले | 

 इस आसन का अभ्यास 3 से 4 बार करे 

मर्कटासन के लाभ /फायदे 
1) यह आसन कमरदर्द के लिए प्रभावशाली है और  ,स्लिपडिस्क, कब्ज में लाभदायक सिद्ध हुआ है | 
2)मेरुदंड को लचिला बनता है और मजबूती प्रदान करता है | 
3) मर्कटासन करते समय पेट की मालिश होती है | इस कारण पाचनतंत्र को कार्यशील बनता है |

  



















Ardhapavanmuktasana

                                     Ardhapavanmuktasana 




Ardhapavanmuktasana This asana frees the apanavayu. And this is done with one foot, so this asana is called Ardhapavanmuktasana. This asana relieves gas, constipation, back pain.


  How to do Ardhpavamuktasana

Mode of Ardhapavanmuktasana: -




First lie down on the pedestal
1) Fold the right leg through the knee and lock both hands tightly under the knee, now while exhaling, put the right knee in the chest and nose up the knee with the neck up and stop breathing for a few seconds. While exhaling, straighten the right leg.
2) Fold the left leg from the knee and lock both hands tightly under the knee, now while exhaling, put the left knee on the chest and raise the neck up and kneel the knee and stop breathing for a few seconds. While exhaling, straighten the left leg.



           Absolute homestead
  First lie down on the pedestal
3) Take both feet from the knee and lock both hands together and hold both knees tightly and while exhaling for a long time, put both knees from the chest and put the neck up and nose between the knees.





Benefits of Ardhapavanmuktasana and Purnapavan Muktasan: -


1) This asana frees your air and cures constipation, stomach pain. Strengthens the digestive system

2) Relieves backache. The spine becomes flexible and strong.


3) Preventing breathing by exhaling causes gastric fire to intensify.


4) Strengthens the lungs. And increases lung function






Pawanmuktasan Caution: -

This posture should not be done if there is more pain in the waist and knees.

अर्धपवनमुक्तासन (Ardhapawanmuktasan)

                                         अर्धपवनमुक्तासन  



अर्धपवनमुक्तासन यह आसन अपानवायु को मुक्त करता है |और एक पाँव से किया जाता है ,इसलिए इस आसन को अर्धपवनमुक्तासन कहते है |इस आसन से गैस, कब्ज,कमर दर्द से राहत मिलती है | 



  अर्धपवनमुक्तासन कैसे करे ?

अर्धपवनमुक्तासन की विधी  :-

सर्वप्रथम आसन पे लेट जाये 
अर्धपवनमुक्तासन 
1) दाहिने पैर (Right Leg )को घुटने में से मोड़े और दोनो हाथ को आपस में लॉक करके घुटने के निचे कसकर पकडे ,अब लंबे श्वास छोड़ते हुए दाया घुटने को छातीसे लगाये और गर्दन ऊपर  करके घुटनेको नाक लगाये और श्वास कुछ सेकण्ड रोके और श्वास छोड़ते हुए  दाहिना पैर सीधा करे | 
2) बाये पैर  (Left Leg )को घुटने में से मोड़े और दोनो हाथ को आपस में लॉक करके घुटने के निचे कसकर पकडे ,अब लंबे श्वास छोड़ते हुए बाया घुटने को छातीसे लगाये और गर्दन ऊपर उठाकर घुटनेको नाक लगाये और श्वास कुछ सेकण्ड रोके और श्वास छोड़ते हुए  बाया पैर सीधा करे |  



           पूर्णपवनमुक्तस  

  सर्वप्रथम आसन पे लेट जाये 

3) दोनों पैर घुटनोमे से मोड ले और दोनों हाथोंको आपसमें मिलकर लॉक करले दोनों घुटनेके निचे कसकर पकडे और लम्बा श्वास छोड़ते हुए छातीसे दोनों घुटने लगाए और गर्दन ऊपर की और करके नाक दोनों घुटनो के बीचमें लगाये | 




अर्धपवनमुक्तासन और पूर्णपवनमुक्तस के लाभ  :-
1 ) यह आसन अपान वायु मुक्त करता है तथा कब्ज, पेट दर्द, को ठीक करता है | पाचनतंत्र को मजबूती प्रदान करता है | 
2) कमर दर्द में आराम देता है | रीढ़ की हड्डी को लचीला एवं मजबूत बनता है |
3) श्वास बाहर छोड़कर रोकने से जठर अग्नि को तीव्र बनाकर भूक को बढ़ता है | 
4 ) फेफडोंको मजबूती प्रदान करता है | और फेफडोंकी कार्यक्षमता को बढ़ता है 

पवनमुक्तासन सावधानी  :- 

  • कमरमें और घुटनोमे ज्यादा दर्द हो तो ये आसन नहीं करना चाहिए  | 








Saturday, May 2, 2020

Uthanpadasan (उत्तानपादासन)

                                       उत्तानपादासन 


     उत्तानपादासन का अर्थ है उप्पर उठा हुआ पाँव
     उत्तानपादासन पेट की चर्बी को कम करने के लिए बहोत अच्छा योगासन है  |
     पाचनतंत्र को सुधारता है |कब्ज , पेट दर्द  में  लाभदायक  | 


उत्तानपादासन कैसे करे  ?

उत्तानपादासन की विधि   :-

सर्वप्रथम आसन पर लेटजाए और पैर के दोनों  पँजे जोडले  और  दोनो  हाथ  जंघाओं के नीचे रखे  | 
अब  श्वास भरते हुए दोनों  पैर 1 फ़ीट उप्पर उठाये और श्वास  को  यथाशक्ति रोके और श्वास  छोड़ते हुए पैर धरती पर  रखे | इसप्रकार उत्तानपादासन को 2 या ३ बार दोहराए  | 


उत्तानपादासन के लाभ :-

पेट की चर्बी को कम करता है | पेट की  मांसपेशी को  मजबूत  बनता है | 
 गॅस ,कब्ज , अपचन ,से छुटकारा दिलाता है | पाचनतंत्र का कार्य सुधरता है | 
नाभि को संतुलित करता है | 
रीढ़की की हड्डी को मजबूती  प्रदान  करता है | 




उत्तानपादासन की सावधानियाँ  :-

कमर दर्द में ये आसान नहीं करना चाहिए | 
पेट की सर्जरी होने पर ये आसन नहीं करना चाहिए | 





Friday, May 1, 2020

धनुरासन (Dhanurasan)


          https://healthasan.blogspot.com                         धनुरासन 

धनुरासन में शरीर का आकर धनुष्य जैसा होता है  | इसलिए  इस  आसन को  धनुरासन कहते है |धनुरासन में  पेट पर ज्यादा  दबाव पडने से  पेट के  सबंधित  सभी समस्या  में लाभदायक है | 



धनुरासन कैसे करे  ?

धनुरासन करने  की  विधी    :-


सर्वप्रथम  yoga mat या  कम्बल के आसन पर लेट जाए |  अब  दोनो  हाथोसे पैर के  दोनों टखनों को पकडे  और श्वास भरते हुए पैरोंको  शिर की और खींचे अब शरीर का आकर धनुष्य जैसा बनजायेगा श्वास को  10 से  12 सेकंड तक रोके और श्वास को धीरे धीरे  छोड़ते हुए दोनो पैर धरती पर रखे और हाथ को सर के नीचे  रखकर शरीर को आराम दे |  इस  प्रकार  धनुरासन की  2 या  3 बार पुनरावृति  करे | 

धनुरासन के लाभ :-

1) कब्ज, पेट दर्द , पित्त को  कम करता है  और पाचनतंत्र से सबंधित सभी बीमारी को ठीक करता है | 

2) यह  आसन कमरदर्द को ठीक करता है,और रीढ़ की हड्डी को लचीली बनता है | 

3)  चेहरे के चमक को बडाटा  है | 

4)   इस आसन  में फेफ़ड़ोंपर अतिरिक्त दबाव पड़ने से फेफडोंको को  शक्ति प्रदान करता है | 

5)  कंधोंका दर्द दूरकरके कंधोंकी मांसपेशी को मजबूत बनता है | 



धनुरासन की सावधानियाँ  :-

हर्निया , अल्सर, उच्च रक्त रक्तचाप या हृदय के रोगी को यह आसन नहीं करना चाहिए | 


 

 



   






मयूरासन(Mayurasan ) peacock pose

                                      मयूरासन(Mayurasan ) peacock pose  मयूरासन ये संस्कृत का शब्द है । हिंदी में मोर कहते है । मयूरासन ...